आज जिस बात पे खफ़ा वो हमसे हो चलें हें,
क्या खबर उनको इसी बात में हम दिन-रात जलें हें !
आज जिस………..
ज़िन्दगी मुझसे गले मिलके एक बात कह गयी;
तू जला है तो संग तेरे कम हम न जलें हें !
आज जिस ————-
शहद कानो में कोई डालता दो बोल प्यार की,
येही आरज़ू सीने में हर रोज़ मलें हें !
आज…………
तीर लब्जों के चले नीमकश बेहिसाब यारों
और हम हें कि चुभन-दर-चुभन और खिलें हें !
आज जिस बात पे…..
आज जिस बात पे खफ़ा वो हमसे हो चलें हें,
क्या खबर उनको इसी बात में हम दिन-रात जलें हें !
आज जिस बात पे—–
आज जिस बात पे, आज जिस बात पे,
आज!!!!!!!!!!!!!! जिस बात पे!!!!!!!!! !
The following two tabs change content below.

Kamlesh Kumar
Kamlesh Kumar is Copy Editor and Content Writer. During leisure time, while commuting for work, and while traveling, he loves writing poetry.

Latest posts by Kamlesh Kumar (see all)
- सफ़र मंजिल का - August 11, 2022
- बच्चे भारत माँ के वीर जवानों के - August 11, 2022
- आज़ादी - August 11, 2022