खोल दी गयी आज़ादी के हाथों की हथकड़ी और पैरों की बेड़ियाँ,
फिर खींच दी गयी चंद लकीरें करने को अठखेलियां
आज़ादी ने सोचा ये कैसा बंधन-मुक्ति का एहसास है
बाहर से हर शै बिंदास और अंदर से उदास है!
कोई रोटी के नीचे दबा है,
कोई कपड़े के तले तिलमिला रहा
किसी को मकान ने दबोच रखा है
ये अर्थ अच्छा है जनता ने जो आज़ादी का सोच रखा है!
आज़ादी एक भाव है फिर भी इसका अभाव है
कोई सर्वस्व निसार करता है इसकी ख़ातिर
किसी के लिए ये महज एक मन-बहलाव है
और यही विषमता कर रही समाज में घाव है!
उन्मुक्त गगन में विचरण आज़ादी है
बाह्य और अन्तर्मन में एकीकरण आज़ादी है
विषय-वस्तु से परे जीवन आज़ादी है
आज़ाद ख्याल अच्छा है पर ख्याली आज़ादी बर्बादी है!
देश आज़ादी का उनहत्तरवाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा
तिरंगा ऊंचा फिर से हवा में आज़ादी का अर्थ समझा रहा
पर हम हैं कि तीन रंगो में ही आज़ादी ढूंढते रहेंगे
रोटी, कपड़ा और मकान आज़ादी का पर्याय बूझते रहेंगे!
बादल घुमर घुमर मचल रहा खेलने को खेल बूंदा-बंदी का
तैयार हो रहा है हुजूम रोमांच भरने तूफां-आंधी का
पेड़-पौधों ने स्वागत की तैयारी में सब इंतज़ाम रखा है
लोगों ने भी बना अपना-अपना प्रोग्राम रखा है!
Kamlesh Kumar
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