मायापाश: व्योमालय राज्य के  रहस्यों को उजागर करती हुई कहानी

मायापाश

प्रत्याशा नितिन की नयी रचना मायापाश कहानी है धर्म की | धर्म अत्यंत ही जटिल होता है | कभी कभी व्यक्ति धर्म के रास्ते पर चलते चलते अचानक ही अधर्म का रास्ता अपना लेता है | ऐसा ही कुछ होता है इस कहानी के नायक श्रीतनय के साथ | वे समझ ही नहीं पाते कि कब अपने अहंकार और लोलुपता के वश में आकर वे अधर्म का रास्ता अपना लेते हैं | अगर कहा जाए तो वास्तव में इस कहानी के गुप्त नायक उच्छिष्ट गणपति हैं | उनके ध्यान मन्त्र के अनुसार उनके शस्त्रों में से एक शस्त्र पाश है | ये कहानी है उनके माया रुपी इसी पाश में श्रीतनय के फँस जाने की और इस कारण ही कहानी का नाम है मायापाश |

 

व्योमालय राज्य के राजकुमार श्रीतनय अपने युवराज्याभिषेक के कुछ दिवस पूर्व अकस्मात लुप्त हो जाते हैं | महाराज उमातनय अपने पुत्र के इस प्रकार लुप्त हो जाने पर राज्य मंत्रियों को सौंपकर वन चले जाने का निर्णय ले लेते हैं | राजकुमार के अंगरक्षक भीमसेन अपने मित्रसमान श्रीतनय की लुप्तता के पीछे का रहस्य जानने के लिए एक रात्रि राजकुमार के कक्ष में अन्वेषण के लिए जाते हैं | परन्तु वहाँ एक ब्राह्मण को देख वो आश्चर्यचकित रह जाते हैं |

 

कौन है यह ब्राह्मण ?

 

कैसे बिना किसी को ज्ञात हुए वह राजकुमार के कक्ष पहुँच गया ?

 

उसके व्योमालय आने के पीछे का उद्देश्य क्या है ?

 

क्या उसका राजकुमार के विलुप्त होने में कोई हाथ है ?

 

क्या राजकुमार कभी वापस आयेंगे ?

 

क्या व्योमालय को उसका भावी युवराज वापस मिलेगा या फिर उस राज्य के भविष्य में कुछ और ही लिखा है ?

 

इन्हीं रहस्यों को उजागर करती हुई कहानी है मायापाश |

 

Excerpt from the book मायापाश by Pratyasha Nitin:

“राजकुमार, आपके दिए इस अवसर के लिए धन्यवाद, परन्तु सत्य यह है कि आप और इस गाँव के लोग यहाँ बैठ कर इस गाँव की न्यायव्यवस्था का अपमान कर रहे हैं | मैं एक बार फिर से कहती हूँ कि यह क्षेत्र आपका नहीं | और आप जो कर रहे हैं वह न्याय नहीं | मैं पूछना चाहती हूँ कि क्या आपने यहाँ इन लोगों का न्यायाधीश बनने से पहले इस क्षेत्र के राजा की आज्ञा ली थी ? ये गाँववाले एक राजा के होते हुए अगर एक दूसरे राज्य के राजकुमार से न्याय की मांग कर रहे थे तो क्या आपने इनकी माँग सुनने से पहले इस क्षेत्र के राजा का आवाहन किया था ? अगर नहीं किया था तो आप उस राजा के अपराधी हैं |” पुष्टि रुकी | उसने राजकुमार और गाँव वालों को एक नजर देखा | और फिर बड़े गर्व से राजकुमार की ओर देखते हुए बोली “राजकुमार, अब मैं आपको एक अवसर देती हूँ | इससे पहले कि मेरे पति उठें, आप अपनी इस त्रुटि का शोधन करें | मेरे पति को इस गाँव से बहुत प्रेम है और वो स्वभाव से भी बहुत दयालु हैं | मैं आप सबको आश्वस्त करती हूँ कि वे आप सबको क्षमा कर देंगे |” पुष्टि का यह उत्तर राजकुमार को बहुत अपमानजनक लगा | वे कुछ कहते इससे पहले गाँव वालों में से कोई बोल उठा “अरे कैसी निर्लज्ज है ये स्त्री | राजकुमार का अपमान करती हैं |”

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“ये बात तो ऐसे कर रही है जैसे कि इस गाँव की महारानी हो |” रमा पुष्टि को धक्का दे कर बोली “अरे सुन, इस गाँव का कोई राजा नहीं और हम सबने मिलकर राजकुमार से आग्रह किया है कि वो तुझे दण्ड दें | ये सब बातें तू इसीलिए कर रही है ना ताकि दण्ड से बच सके ? और तेरा ये पति है कौन जो बिना दिखे ही हम सब पर दया दिखा रहा है ?”

 

प्रत्याशा नितिन कर्नाटक प्रांत के मैसूर नगर की निवासी हैं | वे एक लेखिका एवं चित्रकार हैं | वे धर्म सम्बन्धी कहानियां लिखना पसंद करती हैं | उनका उद्देश्य ऐसी कहानियां लिखने का है जो लोगों को अपनी जड़ों से वापस जोड़ सकें एवं उनके मन में भक्ति भाव जागृत कर सकें | उनकी हिंदी एवं अंग्रेजी में लिखी कहानियां प्रज्ञाता नामक ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं |

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